सीमा पर चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ विवाद में उलझे भारत की पीछ में इस्लामी देशों ने पीठ पीछे से वार करने की कोशिश की है। मुसलमान देशों के सबसे बड़े संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन (Organisation of Islamic Cooperation) ने बिना किसी वजह से सोमवार को कश्मीर पर आपात बैठक बुला ली। जिसमें भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। Organisation of Islamic Cooperation (OIC) ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) के लिए भारत सरकार ने जो फैसला लिया है वह जिनेवा कंवेंशन का उल्लंघन है।
इस संगठन के जम्मू-कश्मीर कॉन्टैक्ट ग्रुप की एक मीटिंग में मंगलवार को मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। OIC ने जो फैसला लिया हैं जम्मू -कश्मीर को लेकर और नए डोमिसाइल नियम भी लागू किये हैं । संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय क़ानून जिसमें चौथा जिनेवा कंवेंशन भी शामिल है का सीधा उल्लंघन है। साथ ही ये फैसला संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को मानने की भारत की प्रतिबद्धता का भी उल्लंघन है। इसके साथ ही बैठक में संयुक्त राष्ट्र की उन दो रिपोर्टों का स्वागत किया गया है जिसमें यह गया है कि भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में वहां के लोगों के मानवाधिकार का व्यवस्थित तरीक़े से हनन किया गया है।
बता दें कि OIC का यह कॉन्टैक्ट ग्रुप जम्मू-कश्मीर के लिए 1994 में बनाया गया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भी लगातार OIC को चिट्ठी लिखकर जम्मू-कश्मीर मामले में हस्तक्षेप के लिए उकसाते रहे हैं। उधर ओआईसी के महासचिव डॉक्टर यूसुफ़ अल-ओथइमीन ने कहा, 'ओआईसी इस्लामी समिट, विदेश मंत्रियों की कौंसिल और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के हिसाब से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को लेकर प्रतिबद्ध है.' OIC ने जम्मू-कश्मीर पर अपने पुरानी स्थिति और प्रस्तावना को लेकर प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है और कश्मीरी अवाम के आत्मनिर्णय के अधिकार की क़ानूनी लड़ाई के समर्थन का फिर से दोहराया है। OIC के कॉन्टैक्ट ग्रुप के विदेश मंत्रियों की आपातकालीन बैठक में अजरबैजान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की शामिल हुए।
OIC के सदस्य देशों ने भारत के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करते हुए कहा कि वे कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं। OIC ने कहा है कि भारत जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर में जारी मानवाधिकार हनन को रोके।
आर्मी के ग़लत इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए जिसके तहत आर्मी पैलेट-गन का इस्तेमाल करती है आर्मी की अभेद घेराबंदी और अमानवीय लॉकडाउन को हटाया जाए इसके आलावा ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को छोड़ा जाए।
OIC की मांग है कि भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर की आबादी में किसी भी प्रकार की संरचनात्मक बदलाव को रोका जाए क्योंकि ये ग़ैर-क़ानूनी हैं और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है। ओआईसी, आईपीएचआरसी और संयुक्त राष्ट्र फ़ैक्ट फाइंडिंग मिशन, ओआईसी महासचिव के जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दूत और इंटरनेशनल मीडिया को भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर बिना रोकटोक के मानवाधिकार की उल्लंघन की जाँच-पड़ताल की इजाज़त हो।
इस्लामिक देशों ने अभी तक कश्मीर के मसले पर चुप्पी बनाए रखी थी। सऊदी अरब ने इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया था। संयुक्त अरब अमीरात ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया था।
इससे पहले भी कश्मीर को लेकर मुस्लिम देश पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और ईरान हमेशा शोर मचाते रहे. लेकिन OIC ने उनकी नहीं सुनी कयोंकि सऊदी अरब इस्लामी देशों के संगठन में प्रमुख स्थान रखता है और उसके कई हित भारत से जुड़े हुए हैं। इसके पहले भी कश्मीर पर पाकिस्तान ने तुर्की, मलेशिया, ईरान को साथ लेकर बैठक करने की कोशिश की थी। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, ईरान के राष्ट्रपति रूहानी, मलेशिया के उस समय के पीएम महातिर मोहम्मद और पाकिस्तान ने कुआलालंपुर में कश्मीर पर बैठक करने की योजना बनाई थी। लेकिन सऊदी अरब के इशारे पर इस मुहिम को रोक दिया गया।
इस संगठन के जम्मू-कश्मीर कॉन्टैक्ट ग्रुप की एक मीटिंग में मंगलवार को मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। OIC ने जो फैसला लिया हैं जम्मू -कश्मीर को लेकर और नए डोमिसाइल नियम भी लागू किये हैं । संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय क़ानून जिसमें चौथा जिनेवा कंवेंशन भी शामिल है का सीधा उल्लंघन है। साथ ही ये फैसला संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को मानने की भारत की प्रतिबद्धता का भी उल्लंघन है। इसके साथ ही बैठक में संयुक्त राष्ट्र की उन दो रिपोर्टों का स्वागत किया गया है जिसमें यह गया है कि भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में वहां के लोगों के मानवाधिकार का व्यवस्थित तरीक़े से हनन किया गया है।
बता दें कि OIC का यह कॉन्टैक्ट ग्रुप जम्मू-कश्मीर के लिए 1994 में बनाया गया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भी लगातार OIC को चिट्ठी लिखकर जम्मू-कश्मीर मामले में हस्तक्षेप के लिए उकसाते रहे हैं। उधर ओआईसी के महासचिव डॉक्टर यूसुफ़ अल-ओथइमीन ने कहा, 'ओआईसी इस्लामी समिट, विदेश मंत्रियों की कौंसिल और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के हिसाब से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को लेकर प्रतिबद्ध है.' OIC ने जम्मू-कश्मीर पर अपने पुरानी स्थिति और प्रस्तावना को लेकर प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है और कश्मीरी अवाम के आत्मनिर्णय के अधिकार की क़ानूनी लड़ाई के समर्थन का फिर से दोहराया है। OIC के कॉन्टैक्ट ग्रुप के विदेश मंत्रियों की आपातकालीन बैठक में अजरबैजान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की शामिल हुए।
OIC के सदस्य देशों ने भारत के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करते हुए कहा कि वे कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं। OIC ने कहा है कि भारत जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर में जारी मानवाधिकार हनन को रोके।
आर्मी के ग़लत इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए जिसके तहत आर्मी पैलेट-गन का इस्तेमाल करती है आर्मी की अभेद घेराबंदी और अमानवीय लॉकडाउन को हटाया जाए इसके आलावा ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को छोड़ा जाए।
OIC की मांग है कि भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर की आबादी में किसी भी प्रकार की संरचनात्मक बदलाव को रोका जाए क्योंकि ये ग़ैर-क़ानूनी हैं और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है। ओआईसी, आईपीएचआरसी और संयुक्त राष्ट्र फ़ैक्ट फाइंडिंग मिशन, ओआईसी महासचिव के जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दूत और इंटरनेशनल मीडिया को भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर बिना रोकटोक के मानवाधिकार की उल्लंघन की जाँच-पड़ताल की इजाज़त हो।
इस्लामिक देशों ने अभी तक कश्मीर के मसले पर चुप्पी बनाए रखी थी। सऊदी अरब ने इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया था। संयुक्त अरब अमीरात ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया था।
इससे पहले भी कश्मीर को लेकर मुस्लिम देश पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और ईरान हमेशा शोर मचाते रहे. लेकिन OIC ने उनकी नहीं सुनी कयोंकि सऊदी अरब इस्लामी देशों के संगठन में प्रमुख स्थान रखता है और उसके कई हित भारत से जुड़े हुए हैं। इसके पहले भी कश्मीर पर पाकिस्तान ने तुर्की, मलेशिया, ईरान को साथ लेकर बैठक करने की कोशिश की थी। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, ईरान के राष्ट्रपति रूहानी, मलेशिया के उस समय के पीएम महातिर मोहम्मद और पाकिस्तान ने कुआलालंपुर में कश्मीर पर बैठक करने की योजना बनाई थी। लेकिन सऊदी अरब के इशारे पर इस मुहिम को रोक दिया गया।
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