अपने ही भाई रावण की तरह ही कुंभकर्ण भी महादेव का परम भक्त था । जब
कुंभकर्ण की अपने भाई रावण की ओर से युद्ध करते समय मृत्यु हो गयी, तब उसकी
पत्नी गर्भवती थी | मृत्यु के पश्चात कुंभकर्ण की पत्नी कामरूप प्रदेश में
जाकर निवास करने लगी और वहाँ भीम नामक महाप्रतापी पुत्र को जन्म दिया।
भीम अपने पिता की तरह महाशक्तिशाली था। युवा होने के पश्चात भीम ने अपनी माँ से अपने पिता के बारे में पूछा | माँ ने भीम को अपने पिता की कथा सुनाई और यह भी बताया कि कैसे युद्ध में भगवान राम ने उसके पिता कुंभकर्ण को मार दिया था। इसपर भीम अत्यंत क्रोधित हो उठा और उसके भीतर प्रतिशोध की भावना उत्पन्न हो गयी। उसने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या की और उनके वारदान प्राप्त करने के बाद वह और भी बलशाली हो गया | उसने तीनों लोकों में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उसके आतंक से सभी देवताओं को स्वर्ग छोड़कर भाग खड़े होना पड़ा | वेद, शास्त्र और स्मृतियाँ तो पृथ्वी से विलुप्त होने लगीं।
उसने पृथ्वी के सभी राजाओं को बंदी बना लिया था | वहीं महादेव के भक्त सुदक्षिण नें कारागार में ही मिट्टी से शिवलिंग की स्थापन की और कारागृह में ही महादेव की आराधना शुरू कर दी । यह देखकर भीम को बड़ा क्रोध आया और वह अपने शस्त्र से शिवलिंग को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ा। उसके प्रहार करने से पहले वहाँ पर महादेव प्रकट हो गये और उनकी हुंकार मात्र से ही दैत्य भीम को जलकर भस्म हो गया। यह शिवलिंग आज भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रचिलित है, जिसका वर्णन शिव महापुराण में भी है।
भीम अपने पिता की तरह महाशक्तिशाली था। युवा होने के पश्चात भीम ने अपनी माँ से अपने पिता के बारे में पूछा | माँ ने भीम को अपने पिता की कथा सुनाई और यह भी बताया कि कैसे युद्ध में भगवान राम ने उसके पिता कुंभकर्ण को मार दिया था। इसपर भीम अत्यंत क्रोधित हो उठा और उसके भीतर प्रतिशोध की भावना उत्पन्न हो गयी। उसने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या की और उनके वारदान प्राप्त करने के बाद वह और भी बलशाली हो गया | उसने तीनों लोकों में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उसके आतंक से सभी देवताओं को स्वर्ग छोड़कर भाग खड़े होना पड़ा | वेद, शास्त्र और स्मृतियाँ तो पृथ्वी से विलुप्त होने लगीं।
उसने पृथ्वी के सभी राजाओं को बंदी बना लिया था | वहीं महादेव के भक्त सुदक्षिण नें कारागार में ही मिट्टी से शिवलिंग की स्थापन की और कारागृह में ही महादेव की आराधना शुरू कर दी । यह देखकर भीम को बड़ा क्रोध आया और वह अपने शस्त्र से शिवलिंग को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ा। उसके प्रहार करने से पहले वहाँ पर महादेव प्रकट हो गये और उनकी हुंकार मात्र से ही दैत्य भीम को जलकर भस्म हो गया। यह शिवलिंग आज भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रचिलित है, जिसका वर्णन शिव महापुराण में भी है।
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