दिल्ली में कोरोना एक बम की तरह लोगो पर फूटा है। अब तो दिल्ली में आलम यह है कि अस्पतालों में कोरोना के इलाज तो दूर बल्कि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों की लंबी लाइनें लगी हुयी है। इनमें से कई लोग अपने परिजन के शव के लिए 3 दिन से रोज लाइन में लग रहे हैं। ये लोग किसी न किसी परिजन को खो चुके है। कोई अपनी मां का शव लेने के लिए वेटिंग लाइन में लगा है तो कई अपनी पत्नी को खो चुके है। ये लोग कुछ कहने-सुनने की हालत में नहीं हैं। बस इंतजार कर रहे हैं कि पार्थिव शरीर ले जाने के लिए इनका नंबर कब आएगा।
लोग अपने परिजनों को बचाने के लिए प्राइवेट अस्पताल में धक्के खाने को मजबूर है लेकिन इस सबके के बावजूद अपने परिवार के व्यक्ति को नहीं बचा पा रहे है। अब कोरोना के आगे दिल्ली ने अपने घुटने टेक दिए है और लोग मन ही मन खुद को और सरकार को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे है।
उधर, कोरोना से हो रही मौतों के आगे अस्पताल प्रशासन भी असहाय हो चुका है। मॉर्चरी में एक के ऊपर एक शव रखना इनकी मजबूरी बन चुकी है। भरते जा रहे श्मशान घाट के बीच परिवार वालों को इंतजार कराने के अलावा अब प्रशासन के पास कोई और चारा नहीं है। ऐसे में फेल हो चुके सिस्टम के सामने अभी अगले महीनो में दिल्ली के ऐसे बहुत से बीमारों को संभालने की चुनौती खड़ी है।
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