भगवान परशुराम के पिता जी का नाम ऋषि जमदग्नि (सप्तऋषि में से एक) और
माता का नाम रेणुका था। ये वही ऋषि जमदग्नि हैं जिनके पिता ऋचिका और दादा
ऋषि भृगु और पडदादा ऋषि च्यावन थे। तो हुआ यूँ कि परशुराम जी की माता जी को
पिता जमदग्नि ने पूजा के लिए पानी हेतु घाट पर भेजा और रेणुका ने वहां
जाकर देखा कि जल में देवता जल-विहार कर रहें है। वे उसे देखने में मग्न हो
गयी जिसकी वजह से देर हो गयी और जमदग्नि द्वारा कारण पूछने पर चुप्पी साध
गयी।
लेकिन अब जमदग्नि ठहरे त्रिकालदर्शी उन्होंने अपनी दिव्यदृष्टि से सब जान लिया गुस्से में तमतमाए पिता जी ने अपने पांचों पुत्रो (वासू, विस्वा-वासू, ब्रिहुध्यनु, ब्रित्कन्व,परशुराम) को लाइन से खड़ा किया और कहा कि अपनी माँ का सर धड़ से अलग से करदो जब चारों पुत्रों ने माता मोह में ऐसा नहीं किया तो उन्हें पत्थर होने का श्राप दे दिया। अब सबसे छोटे पिता के लाड़ले पुत्र ने फरसा उठाया और चला दिया अपनी ही माँ की गर्दन पर।
पुत्र की पितृभक्ति देख जमदग्नि ने “एवमस्तु” बोला और कहा कि मांग लो जो मांगना है, तो परशुराम ने #अपनीमाता को#पुनर्जीवित करने का और #भाइयों को #श्रापमुक्त करने का वर माँगा और जमदग्नि को ऐसा करना पड़ा। बाद में परशुराम ने अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिला के एक कुंड में स्नान कर अपने इस कृत्य का प्रायश्चित किया और इस कुंड को आज परशुराम कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
लेकिन अब जमदग्नि ठहरे त्रिकालदर्शी उन्होंने अपनी दिव्यदृष्टि से सब जान लिया गुस्से में तमतमाए पिता जी ने अपने पांचों पुत्रो (वासू, विस्वा-वासू, ब्रिहुध्यनु, ब्रित्कन्व,परशुराम) को लाइन से खड़ा किया और कहा कि अपनी माँ का सर धड़ से अलग से करदो जब चारों पुत्रों ने माता मोह में ऐसा नहीं किया तो उन्हें पत्थर होने का श्राप दे दिया। अब सबसे छोटे पिता के लाड़ले पुत्र ने फरसा उठाया और चला दिया अपनी ही माँ की गर्दन पर।
पुत्र की पितृभक्ति देख जमदग्नि ने “एवमस्तु” बोला और कहा कि मांग लो जो मांगना है, तो परशुराम ने #अपनीमाता को#पुनर्जीवित करने का और #भाइयों को #श्रापमुक्त करने का वर माँगा और जमदग्नि को ऐसा करना पड़ा। बाद में परशुराम ने अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिला के एक कुंड में स्नान कर अपने इस कृत्य का प्रायश्चित किया और इस कुंड को आज परशुराम कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
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