लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच मौका देखते हुए पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में LOC के नजदीक सेना के लगभग 20 हजार सैनिकों की तैनाती को भारत के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। पाकिस्तान के ऊपर इस बात का भारी दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह चीन को लेकर या तो अपनी नीति की समीक्षा करे अन्यथा चीन के साथ साथ पाकिस्तान भी वैश्विक बहिष्कार झेलने के लिए तैयार हो जाए।
समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विदेश मंत्रालय ने इमरान खान के प्रधानमंत्री कार्यालय को बताया कि या तो वह चीन के साथ अपने संबंधों को लेकर फौरन अपनी नीति सही करे या नहीं तो फिर उसे उन आर्थिक महाशक्तियों के गुस्सा का खामियाजा भुगतना होगा जो चीन को भारत के साथ आक्रामक तेवर के चलते और कोविड-19 महामारी फ़ैलाने के कारण उसे अलग-थलग करने के लिए एकजुट हो चुकी है।
चीन को अलग थलग करने की शुरुआत अमेरिका ने की और उसके बाद सारी आर्थिक शक्तिया इस मुहीम में एक साथ आ गयी यूरोपीय यूनियन अब चीन को कूटनीतिक स्तर पर अलग-थलग करने लगा है। ऐसे में पाकिस्तानी सूत्रों को ऐसा लगा रहा है कि पाकिस्तान अगर चीन का साथ देगा तो वह विश्व की आर्थिक शक्तियों के गुस्से को भड़काएगा और उसको भी इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा और इसका पहला झटका पाकिस्तान को तब लगा जब यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन ने पाकिस्तानी एयरलाइंस के विमानों को यूरोपीय देशों ने बैन कर दिया। पाकिस्तान ने यूरोपीय यूनियन को यह पूरी तरह से समझाने का प्रयास किया कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्वालीफाईड पायलट्स ही उन मार्गों में उड़ान भरेंगे लेकिन यूरोपीय यूनियन ने सुनने से साफ इनकार कर दिया।
चीन के खिलाफ पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे और गिलगित-बाल्टिस्तान में भी जमकर विरोध हो रहा है। यहां के नागरिकों का आरोप है कि चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में स्थानीय नागरिकों को कोई भागीदारी नहीं दी गई है। जबकि यहां से रिसोर्स का जमकर दोहन किया जा रहा है। इस परियोजना में काम करने के लिए चीन से सस्ते श्रमिक बुलाए जा रहे हैं। चीन यहां की परंपराओं की भी सम्मान नहीं कर रहा। इसके अलावा चीनी सरकार की तरफ से उइगर मुसलमानों पर जुल्मों सितम भी कई धार्मिक व्हाट्सएप् ग्रुप में चर्चा के विषय बना हुआ है।
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