जस्टिस ए.एम. खानविल्कर की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सत्र न्यायालय में लंबित मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी, जिसके तहत उसने पति के खिलाफ एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया था। अदालत के आदेश में कहा गया है कि साकेत कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष लंबित मामले पर फिलहाल रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक पति द्वारा विवाह से पहले पत्नी के साथ किए गए बलात्कार के आरोपों को खत्म करने के लिए दायर की गई याचिका पर गुरुवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2013 में महिला के साथ उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा बलात्कार के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि लिव-इन रिलेशन के दौरान आरोपी ने शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाकर उसे धोखा दिया था ऐसी बीच 2014 में उन्होंने शादी कर ली थी।
शादी करने के बाद उन दोनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश से दुखी होकर अब आरोपी पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट की सभी दलीलो में कहा गया कि बलात्कार के अपराध के लिए शादी के झूठे वादे पर सहमतिपूर्ण संभोग को बलात्कार के अपराध से बराबरी नहीं दी जा सकती है, जो बलात्कार इच्छा के खिलाफ हो और जो सहमति के साथ किया जाता है उसमे बहुत ज्यादा फर्क होता है
दलील में यह भी कहा गया कि पीड़ित ने खुद आरोपी के शादी कर ली है और वह मामले को आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं रखता है। विशेष रूप से ऐसे सभी विवाद केवल तब तक होते हैं जब तक आरोपी पीड़ित से शादी नहीं करता है।
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